1 |
सम्पादकीयम्
प्रकाशकीयम् |
डा. सदानन्द झा
बिपिन कुमार झा |
2 |
वैदिकवाङ्मये परिसरः |
डा. सुमन के. एस. |
3 |
प्रमाणस्वरूपजिज्ञासा |
डा. सुनीलः के. एस. |
4 |
श्रीमद्भागवतीयशिक्षातत्त्वविमर्शः |
डा. मखलेशकुमारः |
5 |
संस्कृतववाङ्मये मानवीयमूल्यानि |
डा. पी वेंकट्राव |
6 |
गीताऽमृततत्त्वानां व्यावहारिकं विश्लेषणम् |
बिपिनकुमारझा, दिपेशविनोदकतिरा च |
7 |
व्याकरणं तत्सम्बद्धं भाषाविज्ञाञ्च |
रामसेवकझा |
8 |
शाकटायनव्याकरणसूत्राणां पाणिनीयदृष्ट्या समीक्षणम् |
राजीवसेठी |
9 |
विवेकचूडामणौ दार्शनिकतत्त्वविश्लेषणम् |
दयानन्दपाणिग्राही |
10 |
भारतीयदर्शने साङ्ख्याचार्यः कपिलः |
अशोककुमारमीना |
11 |
किरातार्जुनीयस्याद्यसर्गद्वये त्रिवर्गसङ्घर्षः |
डा. अनुपमारयली |
12 |
भारतीयसंस्कृतौ तपोवनस्वरूपम् |
सुदीपचक्रवर्त्ती |
13 |
वास्तुपुरुषविचारः |
डा. प्रदीपकुमारझा |
14 |
भारतीयज्योतिषशास्त्रदृष्ट्या वर्ष-अयन-ऋतुविचारः |
डा. भूपेन्द्रनारायणझा |
15 |
अर्थवैचित्रे श्रीहर्षप्रयुक्ताः शब्दाः |
साधनकमारपात्रः |
16 |
बद्धिस्वरूपम् |
श्यामबिहारीचौधुरी |
17 |
सम्बद्धसित्याध्ययनस्य उपादेयता |
डा. मदनकुमारझा |
18 |
शास्त्रप्रवृत्तेः मूलाधारभूता उद्देश्य-लक्षण-परीक्षा |
दीपककुमारद्विवेदी |
19 |
वर्तमानयुग में तर्कबुद्धि एवं तर्कशास्त्र की उपादेयता |
विद्यावाचस्पति डा. सदानन्द झा |
20 |
वेदान्त से मोक्षप्राप्ति |
प्रो. जितेन्द्रटलर |
21 |
महाभारत में व्यावहारिक आचारसम्बन्धी नियम-निर्देश |
डा. प्रज्ञापाण्डेयदीक्षतः |
22 |
माघकाव्य में नारी की स्थिति : एक परिचय |
श्रीमती प्रेमलता भाटी |
23 |
संस्कृत-साहित्य में प्रयुक्त भाग्यपरक लोकोक्तियाँ |
डा साधना सहाय |
24 |
पाश्चात्य समीक्षा के परिप्रेक्ष्य में ध्वनि |
अर्चना पाण्डेय |
25 |
Importance of ‘Water’ |
Ajay Vidyadhar Pendase |
26 |
SCIENTIFIC EFFECT OF GITA IN MORDEN CIVILIZATION |
Archana Barik |
27 |
Buddhistic influences in the Cambodian Inscriptions |
M. Sarkar and P. Majumdar |