लोकार्पणम्
Issue |
Vol |
Year |
Date |
Place |
View Detail |
Related Photo |
Report |
1 |
I |
1 |
20.1.2010 |
Rashtriya Sanskrit Sansthan,
Tirupati |
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2 |
II |
1 |
20.04.2010 |
BHU, Varanasi |
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3 |
III |
1 |
13.08.2010 |
Ujan, Darbhanga |
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4 |
IV |
1 |
अटलाण्टा,
USA |
30.10.2010 |
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5 |
I |
2 |
New Delhi |
08.02.2011 |
|
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6 |
II |
2 |
Allahabad |
01.05.2011 |
|
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7 |
III |
2 |
Madhubani |
15.07.2011 |
|
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8 |
IV |
2 |
Chandigarh |
19.11.2011 |
|
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9 |
I |
3 |
Kolakata |
02.02.2012 |
|
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10 |
II |
3 |
Jaipur |
12.05.2012 |
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11-12 |
III |
3 |
स्त्रोत्रे
षु- सन्ध्या भगवती
सावित्री Lucknow |
10.11.2012 |
Prof. O P Pandey |
||
13-14 |
I |
4 |
उडुपि, कर्णाटक |
04.05.2013 |
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15-16 |
II |
4 |
Bhagalpur |
Oct.2013 |
Shri Indu Shekhar Jha, Rtd. SP, Bhagalpur |
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17 |
I |
5 |
Tripinithura, Kerala |
14-1-2014 |
Smt. K P Prasanna, Principal, GSC, Tripinithura,
Kerala |
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18 |
II |
5 |
जयपुर |
25.5.2014 |
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||
19-20 |
III |
5 |
रामकृष्णमठ,शिमला |
06-12-2014 |
|
||
21-22 |
I |
6 |
Kangra, HP |
27.07.2015 |
वेदव्यासपरिसरे
प्रो.रमाकान्तपाण्डेयमहाभागैः |
||
23-24 |
I |
7 |
काञ्चीपुर |
05-02-2016 |
सारस्वतनिकेतनान्तर्गतप्रकाश्यमानायाः जाह्न्व्याः
चतुर्विंशतितमं
पुष्पं लोकाय अद्य
05-02-2016 तमे दिवसे काञ्चीपुरस्थे
श्रीचन्द्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविश्वमहाविद्यालये
प्रो.डा.
रामकृष्ण
पिशिपाटि
महोदयानां
करकमलाभ्यां
अर्पितम्
। अस्यमुख्यसम्पादकाः
विद्यावाचस्पति
सदानन्दझाः
सन्ति। कार्यक्रमे
तत्रादौ श्रीचन्द्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविश्वमहाविद्यालयस्य
अध्यापकाः
डा. हीरालाल
दाश महाभागाः
सारस्वतनिकेतनं
तथा च जाह्न्व्याः
लोकलोचनविषये
सर्वमपि रहस्यम् उपस्थापितवन्तः
। तत्र कथं ते
जाह्न्वया
सह संयोजिताः
तथा तत्सेवया
नियुक्ता
इति विषयमपि
उक्तवन्तः
। सम्पादकाः
डा. दाश
महाभागाः
एतदर्थं डा.विपिन
कुमार झा महाभागानां
कृते धन्यवादमर्पितवन्तः
। एतदर्थं
जाह्नव्याः
सहसम्पादकः
मु.विनोद इति नामधेयः
संस्कृतशोधच्छात्रः,
श्रीचन्द्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविश्वमहाविद्यालयस्थः,
बहुधा सहायम् अकरोत्। अनन्तरं प्रो.डा.रामकृष्णपिशिपाटि
महाभागाः
सङ्कायप्रमुखाः
जाह्न्व्याः
लोकलोचनम्
अन्तर्जाले
एकादशवादने
कृतवन्तः
। तत्र लोकलोचनसमये
केचन छात्राः
उपस्थिता
आसन् संस्कृत के लिये समर्पित
जाह्नवी संस्कृत ई
शोधपत्रिका
के तेइसवें
अंक का
लोकार्पण
आजकाञ्चीपुरम्
के श्रीचन्द्रशेखरेन्द्रसरस्वतीविश्वमहाविद्यालय
के संस्कृत
डीन प्रो.डा.
रामकृष्ण
पिशिपाटि
महोदय के द्वारा
किया गया।
पत्रिका के सम्पादक
एवं प्रकाशक
राष्ट्रिय
संस्कृतसंस्थान
बलाहर( प्रागपुर)
के अध्यापक
श्री बिपिन
कुमार झा ने इस अवसर
पर संस्कृत
समाज एवं
मीडिया को धन्यावादार्ह
माना है।
ज्ञातव्य
है कि
यह पत्रिका
ज्ञानविज्ञान
एवं संस्कृत
जगत में
होने बाली
नवीन सर्जनाओं
को प्रमुखता
देती है।
इससे पूर्व
इसका विमोचन
शिमला एवं बलाहर
में हो
चुके हैं। |
||
25-26 |
II |
7 |
Kurukshetra, Hariyana |
22.08.2016 |
|
||
27-28 |
III |
7 |
जयपुर |
31.12.2016 |
|
||
29 |
I |
8 |
North Dartmouth, MA |
20.05.17 |
|
Prof. Bal Ram Singh, Intitute of Advanced Sciences,
North Darth Mouth, MA |
|
30-31 |
II |
8 |
कुरुक्षेत्र, हरियाणा |
13-11-17 |
|
डा. बलदेवसिंह
मेहरा महोदयैः Representative Shri Mahesh Dutt |
|
32 |
I |
9 |
Madhubani, Bihar |
22-02-18 |
संस्कृत
में निबद्ध ज्ञान-विज्ञान
को तकनीकि से जोड़ने
में ई-जर्नल की
महत्ती भूमिका-एडीएम जाह्नवी के अभिनव
अङ्क का समाहरणालय
में हुआ लोकार्पण सभी भाषाओं
की जननी संस्कृत
आदिकाल से रही
है। वेद,उपनिषदों,पुराणों
आदि में वर्णित
संस्कृत भाषा
में निबद्ध ज्ञान-विज्ञान
के बातों को आज
आधुनिक तकनीकि
से जोड़ने की आवश्यकता
है । जिससे
संस्कृत भाषा
को नहीं भी जानने
वाले व्यक्ति
अन्तर्जाल के
माध्यम से अनुवाद
कर आसनी से समझ
सकता है । ये बाते
समाहरणालय में
जाह्नवी संस्कृत-ई-जर्नल
के अभिनव अङ्क
का लोकार्पण करते
हुए अपर समाहर्ता
दुर्गानन्द झा
ने कही । उन्होंने
कहा कि आधुनिकता
के इस दौर में अंताराष्ट्रीय
मानक प्राप्त
संस्कृत के प्रथम
ई-जर्नल जाह्नवी पत्रिका
शोध के क्षेत्र
में महती भूमिका
अदा करेगी
। ई-जर्नल के माध्यम
से न केवल देश अपितु
विदेशों में भी
संस्कृत क्षेत्र
में हो रहे कार्यों
से लोग लाभान्वित
होंगे । संस्कृत
भाषा में लिखे
गूढ़ त्तत्वों
को सरल बनाकर जनमानस
में प्रचार प्रसार
करने में ई-जर्नल
अत्यधिक लाभकारी
सिद्ध होगा
। समारोह को सम्बोधित
करते हुए वाटसन
के प्राचार्य
रामकृष्ण मिश्र
ने कहा कि ई-जर्नल
के 32वें अङ्क तक
पहुंचना ही इसकी
सफलता स्पष्ट
प्रतीत होता है
। वैदिक
मन्त्रों के जयघोष
के द्वारा अपर
समाहर्ता दुर्गानन्द
झा ने जाह्नवी
के 32वें अङ्क का
लैपटॉप पर मॉस
क्लिक कर लोकार्पण
किया । |
ई-जर्नल
के सम्पादक सह
लोकार्पण संयोजक
डॉ.रामसेवक झा
ने बताया कि 20 जनवरी
2010 को तिरुपति विद्यापीठ
के कुलपति हरेकृष्ण
शतपथी के द्वारा
प्रथम अङ्क का
लोकार्पण किया
गया । उसके बाद
यह त्रैमासिक
पत्रिका देश के
विभिन्न विश्वविद्यालयों,प्रशासनिक
संस्थाओं के अलावे
विदेश में अटलाण्टा
में भी पिछले अङ्कों
का विमोचन किया
जा चुका है । संस्कृत
के प्रथम ई-जर्नल
को यूजीसी
के अलावे इम्पेक्ट
फेक्टर की भी मान्यता
मिल चुकी है । प्रत्येक
तीन मास में संस्कृत-हिन्दी-अंग्रेजी
भाषों में शोधपत्र
देश के विभिन्न
कोणे से प्राप्त
होते हैं । जिसे
मास के अन्त में
निर्धारित स्थान
पर लोकार्पण किया
जाता है । 32 वें अंक
में कुल 21 शोधपत्र प्रकाशित
किये गये है । ई-जर्नल के प्रधान
सम्पादक लगमा
के व्याकरण विभागाध्यक्ष
विद्यावाचस्पति
डॉ.सदानन्द झा
ने बताया कि शोधार्थियों
छात्रों को शोध
में नूतन आयाम
प्रदान करने में
यह पत्रिका श्रेयस्कर
है । प्रकाशक डॉ.बिपिन
कुमार झा के निरन्तर
प्रयत्न से यह
जर्नल नित्य नूतनता
को प्राप्त कर
रहा है । लोकार्पण
समारोह में अपर
समाहर्ता दुर्गानन्द
झा,राजस्व अधिकारी
सत्यप्रकाश , आपदा
पदाधिकारी अरविन्द
कुमार झा, वाटसन
के शिक्षक सुधांशु
शेखर झा,शिक्षाविद्
डॉ.रामसेवक झा
सहित कई गणमान्य
लोग सम्मलित थे
। |
|
33 |
II |
9 |
सम्पूर्णानन्द वि. वि वाराणसी, उ.प्र. |
Apri, 18 |
|
VC, Sampurnand Sanskrit University Varanasi |
|
34-35 |
III |
9 |
सारनाथ, उ.प्र. |
01-11-18 |
जाह्नवी संस्कृत
पत्रिका का विमोचन-
संस्कृतभाषाकी
प्रथम ई.पत्रिकाके
34वे-35 वें अंकका विमोचन
प्रोफेसर देवराज
सिंह (पूर्व कुलसचिव)
केन्द्रीय
तिब्बती संस्थान सारनाथ के कर-कमलों
द्वारा किया गया। डॉ सिंह
ने पत्रिका
को संस्कृत
भाषा के
विकास में सहायक
बताते हुए उत्तरोत्तर
सफलता की कामना
की। उन्होंने
कहा कि
आज के
डिजिटल युग में
यह ई.पत्रिका
संस्कृतवाङ्मय में
निहित हमारे ज्ञान-विज्ञान
को जन-जन
तक पहुचाने
का सरल
और उचित
माध्यम है। साथ
ही उन्होने
इस पत्रिका
के मुख्यसंपादक
डा. सदानन्द
झा साथ
पत्रिका से जुड़े
सभी सदस्यों
को कोटिशः
धन्यवाद के साथ
उनके सफल
जीवन की
कामना भी की। जाह्नवी पत्रिका
के विमोचन
में मुख्यरूप
से प्रो.धर्मदत्त चतुर्वेदी,प्रो.बाबूराम
त्रिपाठी,डॉ.अनुराग
त्रिपाठी,डॉ.
श्रीनाथधर
द्विवेदी,
डॉ प्रशांतजी,डॉ
रविरंजन द्विवेदी,
डॉ विवेकानंद
जी आदि
उपस्थित थे। संचालन
लोकार्पण
प्रतिनिधि
डा. रीतेश
कुमार चतुर्वेदी
ने किया। |
||
36-37 |
I |
10 |
राजाङ्गणम्
, श्रीकृष्णमठः
, उडुपि |
09-03-2019 |
·
·
स्थलम्
- राजाङ्गणम् , श्रीकृष्णमठः
, उडुपि. ·
दिनाङ्कः -
9th March ·
समयः - 17:30 ·
सन्दर्भः - श्रीराघवेन्द्रतीर्थमहास्वामिनां
वर्धन्त्युत्सवे
·
संयोजकः
- डा. सुमन् आचार्यः
, प्राध्यापकः,
लोयोला महाविद्यालयः तथा उपसंपादकः
, जाह्नवी अन्ताराष्ट्रियसंस्कृतपत्रिका |
||
38 |
II |
10 |
BLI, New Delhi |
14.07.2019 |
स्थलम्
– भोगीलाललहरचन्द-इण्डोलोजिसंस्थानम्,
नव देहली दिनाङ्कः - 14/07/2019 संयोजकः
– प्रो. अशोकशर्मा,
प्रतिनिधि
, जाह्नवी
अन्ताराष्ट्रियसंस्कृतपत्रिका |
||
39-40 |
III |
10 |
Midnapore
College |
08-06-2020 |
·
·
Place- Midnapore College ·
Date -
8th Jan, 2020, 4:00 PM ·
Representative- Dr. Giridhari
Panda |
||
41 |
I |
11 |
Online |
26th April, 2020 |
· |
||
42-43 |
I |
11 |
Online |
20.09.2020 |
पद्मविभूषण
सम्मानित तुलसीपीठाधीश्वर
जगद्गुरु रामानंदाचार्य
स्वामी श्रीरामभद्राचार्य
जी महाराज Place- Online through G-Meet Date - 20th September, 2020 11:00 AM Representative- Ms. Prateeksha
Mishra. |
||
44 |
I |
12 |
Online |
30.01.2021 |
Inaugration-
Prof. Asanga Tilakratne Place-
Online through G-Meet Date -
30th January, 2021 11:00 AM Representative-
Dr. Ramesh Jha |
||
45-46 |
I |
12 |
Online |
18.12.2021 |
Prof Tankeshwar Kumar, Hon’ble
Vice-Chancellor, Central University of Haryana, Mahendragarh Place- Online through G-Meet Date -
18th December, 2021 11:00 AM Representative- Dr. Bipin Kumar
Jha |
||
47-48 |
I |
12 |
Online |
|
लोकार्पणतिथिः 09.08.2022, 8:00 PM लोकार्पणप्रतिनिधिः श्रीरिपुदमनपण्डितः |
||
49 |
I |
13 |
Lucknow |
17.01.2023 |
प्रो.
विजयकुमारकर्ण |
||
50-51 |
II |
13 |
JNB
Darbhanga |
12.09.2023 |
|
||
52-53 |
I |
14 |
Tripura |
01.03.2024 |
जाह्नवी-ई-पत्रिकायाः
लोकार्पणम् सारस्वतनिकेतननामधेयायाः
कस्याश्चिद्
संस्कृतसंवर्धनसंस्थायाः
प्रमुखप्रकल्पेषु
अन्यतमाऽस्ति
जाह्नवी-ई-पत्रिकेऽति।
प्रतिवर्षं
संस्कृतविषयानुपादाय
ज्ञानपरिवर्धनाय
विदुषां
प्रौढशोधलेखाः
स्वविशेषस्थानमधिगृह्णन्ति
अस्यां
रत्नगर्भितशोधपत्रिकायाम्।
अस्मिन्
वर्षेऽपि
भवतु तथैवेऽति
दृढसङ्कल्पबद्धा
जाह्नवीसम्पादनासमितिः
विगते १
मार्चदिनाङ्के
जाह्नवी-ई-पत्रिकायाः
५२-५३अङ्कयोः
लोकार्पणमकरोत्।
लोकार्पणं
त्रिपुराकेन्द्रीयविश्वविद्यालयस्य
सभागारे
सायं ०६:००
वादने
जातम्।
यद्यपि प्रत्यक्षरूपेण
तत्रायोजिता
तथापि
सर्वेषां
वीक्षणसुकराय
गूगलमीट
इत्यनेनापि।
भारतस्य
संस्कृतविद्वांसो
स्वोपस्थितिपुरस्सरं
लोकार्पणकार्यक्रमस्य
शोभां
वर्धितवन्तः
पत्रिकायाः
निवेदकानां
सारस्वतनिकेतनसंस्थापकानां
डा०बिपिनकुमारझामहोदयानां
सञ्चालकत्वे
लोकार्पणप्रतिनिधयः
डा०सुमन.के.एसवर्याणां
प्रतिनिधित्वे
कार्यक्रमस्य
प्रारम्भे
वैदिकमङ्गलाचरणं
श्रीहिमांशुबाजपेयी, लौकिकमङ्गलाचरणञ्च
डा०सागरिकाभट्टाचार्या
उपस्थाप्य
शुभारम्भं
कृतवन्तौ।
ततश्च क्रमशः
स्वागतभाषणं
पत्रिकाया
लोकार्पणप्रतिनिधयः
त्रिपुराविश्वविद्यालयस्य
च विशेषकार्याधिकारिणस्सहप्राध्यापकाः
डा०
सुमन.के.एसवर्याः,
दीपप्रज्वलनं
विश्वविद्यालयस्य
कुलसचिवमहोदयाः,
लोकार्पणकर्तारः
डा.
दीपकशर्मावर्या
अन्ये
विद्वांसश्च,
जाह्नवीपत्रिकेऽतिवृत्त्योपस्थापनं
सम्पादनसमितेः
मुख्यप्रतिनिधयः
संस्कृतान्तर्वीक्षाया
मुख्यसंयोजिकाः
डा०दीपिकादीक्षितमहोदया
असाधयन्। ततश्च,
मुख्यसम्पादकपदालङ्कारकाः
परमविद्वांसः
पत्रिकायाः
जनकभूतास्सम्पादकाः
ज्ञाननिष्णाताः
डा०सदानन्दझामहागुरवः
स्वाशीर्वचनैः
सर्वान्
उपकृतवन्तः।
तदनन्तरम् ई-पत्रिकायाः
लोकार्पणं
त्रिपुराकेन्द्रीयविश्वविद्यालयस्य
कुलपतयः डा.
दीपकशर्मावर्याः
कृतवन्तः।
उल्लेख्यं
यद्
कुलपतिभि
संस्कृताध्ययनमकृते
सत्यपि
संस्कृतपत्रिकाया
लोकार्पणमस्तीत्यस्मात्तैरतीवसुष्ठुतया
संस्कृतभाषाभिव्यञ्जवाक्यै
लोकार्पणपर्यायं
साधितवन्तः
तच्च
विलोक्य
सर्वेऽपि
प्रोत्साहिता
जाताः। लोकार्पणात्परम्
कुलपतिभ्यः
विशेषधन्यवादज्ञापनमददन्
लोकार्पणप्रतिनिधयः
डा.के.एस.सुमनमहोदयाः
तै
साकमौपचारिकधन्यवादमुपस्थापितवन्तः
निवेदकाः
डा०बिपिनकुमारझावर्याः।
परिशेषे
डा०के.एस.सुमनमहोदयाश्शान्तिपाठेन
कार्यक्रमस्य
परिसमाप्तिमकुर्वन्।
कार्यक्रमे
प्रमुखाः
संस्कृतविद्वांसः
- प्रो.
गिरीशचन्द्रपन्तः,
प्रो.
जयप्रकाशनारायणः, डा.
सुनील के एस्,
डा
गीताशुक्ला,
श्री
धीरेन्द्रजी,
श्री
पवनमेहता, डा
प्रीतिशर्मा,
डा
सुज्ञानमहान्ति,
श्री
राहुलकश्यपः,
डा
बालमुकुन्दः,
श्रीमतीप्रिया,
डा रमेशः, डा उमा, डा
सरिताश्रीवास्तवः,
श्रीमती
सरिताजी, श्री
सारण, श्रीभक्ति,
श्री
रिपुदमनचन्दः,
श्रीमतरेखाजी,
अंकितज, शालू, डा
रितेशजी, डा
राहुलजी, अनुरागजी,
डा
आनन्दजी, रमणजी,
श्री
उदयनाथः, अर्चनाजी,
भारतीजी, डा वीरजी, अनीताजी, कुशलजी, नेहाजी,
डा
कुलदीपकः, श्री
निशिकान्तपाण्डेयः,
राहुलजी, चक्रदत्तजी
अन्ये
चोपस्थितास्सन्। |
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